शादीशुदा औरत ने अपने पूर्व प्रेमी के साथ बनाए शारीरिक संबंध

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जिस तरह से पेट के लिए खाना, जीवन के लिए सांस महत्वपूर्ण होते हैं वैसे ही जिस्म की संतुष्टि और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लैंगिक संबंध बहुत जरूरी होते हैं. इस लैंगिक संबंध में नीतिमत्ता की बेड़ियों में खुद को जखड़ना, समाज की चिंता करना केवल मिथ्या है, ढोंग है. यह बहुत ही निजी क्षण होते हैं. लैंगिग संबंध के दौरान समाज मान्यता की जंजीर तोड़ने, नीतिमत्ता की सीमा पार करना ही प्रेम में असली समर्पण होता है.

जब पति शारीरिक सुख ना दे पाए तो औरत को अपने पूर्व प्रेमी का ही सहारा लेना पड़ता है. संभोग का पूरा आस्वाद लेने के बाद जब प्रेमी चूत के अंदर वीर्य छोड़कर निढ़ाल होकर औरत के ऊपर गिरता है, तभी कामवासना तृप्त होती है.