जो मजा ससुरजी के लंड में हैं वो मजा पति के लंड में कहाँ?

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मेरे पति का तत्काल तबादला होने के कारण मुझे कुछ महीने अपने ससुराल ससुरजी के पास रहना पड़ा. उस दौरान मेरी बढ़ती प्यास की वजह से मेरा रिश्ता ससुरजी के साथ और भी गहरा होता चला.

एक दिन मैं रसोईघर में चावल बीन रही थी. इतने में ससुरजी आए और किवाड़ की कुंडी लगाकर मुझे अपने बाहों में भर लिया. वो मेरे होंठ चुमने लगे. मैं कामसुख की प्यासी! भला मैं खुद को कैसे रोक पाती? मैं भी उनके साथ कामवासना में बहती चली गई.

ससुरजी मेरे ब्लाउज के हुक्स खोलकर मेरे बड़े बड़े वक्षों को दबाते हुए मेरा गला चुम रहे थे. मेरा बदन रसोई और वासना की गर्मी के पसीने से तरबतर हो चुका था.

हम दोनों खड़े हो गए. मैं ससुरजी के बाहों में बेबस पड़ी थी. उन्होंने मेरी साड़ी कमर तक उठाई और वो मेरे चूतड़ों को मसलने लगे. फिर वो पायजामा ढीला कर स्टूल पर बैठ गए और मैं साड़ी उठाकर उनके लंड पर बैठ गई. अब हम दोनों ससुर बहु चुदाई करने लगे.

कुछ दिनों बाद मुझे मेरे पति के क्वार्टर में रहने जाना पड़ा. वहां मेरे पति मुझे चोदते थे पर जो मजा ससुरजी के लंड में था वो मुझे इनके लंड से नही मिल रहा था!