पैंटी उतारकर जमींदार के मुंह और लंड से चूत रगड़ती रखैल

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गांव के इस जमींदार ने एक खूबसूरत रखैल रखी थी. रोज रात को यह रखैल उसे खुश किया करती थी. वह पूरी तैयार होकर आती. साड़ी में से अपनी चड्डी निकालकर जमींदार को सूंघने के लिए देती. फिर रखैल उठकर जमींदार के मुंह पर बैठती और जमींदार उसकी खुशबूदार चूत चाट लेता था. रखैल तो ऐसी थी कि वह भी उसके मुंह पर अपनी गांड रगड़ रगड़के उससे चटा लेती थी. फिर वह नीचे आती और जमींदार के लंड पर बैठकर फिर से रगड़ना चालू करती. इधर जमींदार की बीवी अपनी चूत में उंगली कर रही होती.